राजू को हमेशा लगता था कि स्कूल बहुत बोरिंग है। एक दिन वह छत पर लेटकर बादलों को देख रहा था और सोच रहा था, “काश मैं भी बादल होता! कितना मज़ा आता!” यह सोचते हुए राजू कल्पना की दुनिया में खो गया।
अचानक एक बादल नीचे आया और बोला, “राजू, चलो मेरे साथ! मैं तुम्हें ‘बादल का स्कूल’ दिखाता हूँ।” वहां हम मजे करते हुए बहुत कुछ सीखेंगे।
राजू हैरान रह गया। बादल ने उसे अपनी पीठ पर बिठाया और आसमान में ले गया।
बादल का जन्म (Formation of Cloud)
बादल ने कहा, “राजू क्या तुम जानना चाहते हो, मेरा जन्म कैसे हुआ? राजू ने जिज्ञासा में हाँ में सर हिलाया। बादल ने बताया। मैं पानी की छोटी-छोटी बूंदों से बना हूँ जो हवा से हल्की हैं। जब सूरज नदियों, समुद्र के पानी को गर्म करता है, तो वह भाप बनकर
ऊपर आ जाता है। उपर आने पर ठंडी हवा के कारण भाप पानी की महीन बूंदों में बदल जाती है।जब बहुत सारी पानी की बूंदें इकट्ठी हो जाती हैं, तो वे आपस में मिलकर बड़ी हो जाती हैं और बादल बन जाती हैं।
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वर्षा के बाद का चक्र (Water Cycle after Rain)
“वाह!” राजू ने कहा। “लेकिन गर्मियों में आप कहाँ चले जाते हैं?”
“अच्छा सवाल!” बादल ने समझाया। “हम मॉनसून के साथ समुद्र से आते हैं। हम एक चक्र में घूमते रहते हैं – समुद्र से आसमान, आसमान से धरती, धरती से वापस समुद्र।” अर्थात समुद्र से जल लेकर हम वर्षा के रूप में धरती पर बरसते हैं। जल बरसाने के उपरांत हम वातावरण में मिल जाते हैं।
वर्षा का पर्यावरण के लिए महत्व (Importance of Rain)
अचानक राजू ने देखा कि नीचे खेतों में किसान खुश हो रहे हैं। “वे इतने खुश क्यों हैं?” उसने पूछा।
“यह जीव विज्ञान की बात है,” बादल ने कहा। “बिना पानी के पेड़-पौधे नहीं उग सकते। हम बारिश करके धरती को जीवित रखते हैं। यह प्रकृति का संतुलन है।”
राजू को एहसास हुआ, “मतलब आप सिर्फ उड़ते नहीं, बल्कि सबकी मदद भी करते हैं?”
“बिल्कुल!” बादल ने कहा। “हर दिन हम करोड़ों लीटर पानी उठाते हैं। अगर हम ये काम न करें तो धरती सूख जाएगी।”
राजू समझ गया कि हर चीज़ का अपना महत्व है। जब वह वापस घर पहुँचा, तो उसने अपनी मम्मी से कहा, “मम्मी, कल से मैं स्कूल में मन लगाकर पढ़ूंगा!”
“क्यों बेटा?” मम्मी ने पूछा।
“क्योंकि मैंने आज सीखा है कि हर चीज़ में कुछ न कुछ खास बात होती है। जैसे बादल सिर्फ उड़ते नहीं, बल्कि सबकी मदद भी करते हैं। वैसे ही पढ़ाई भी सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जिंदगी को समझने का तरीका है!”