लगातार कौशिश करने वाले की जीत होती है

tortoise and rabbit friends

एक सुंदर हरा-भरा जंगल था जो हमेशा फूलों की खुशबू और हँसी से भरा रहता था। उसी जंगल में रहते थे दो खास दोस्त — रिकी, एक तेज़ दौड़ने वाला खरगोश… और तारा, एक शांत और समझदार कछुआ। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत अलग थे, लेकिन अच्छे दोस्त थे।

रिकी को दौड़ना बहुत पसंद था। वह जंगल की पगडंडियों पर कूदता, दौड़ता और बोलता — ‘देखो! मैं कितना तेज़ हूँ!’ उसकी नीली स्कार्फ हवा में लहराती थी और पत्ते उसके पीछे उड़ते जाते थे। सब जानवर उसकी तेज़ी देखकर चकित रह जाते।

happy tortoiseवहीं तारा… धीरे-धीरे, लेकिन बहुत ध्यान से चलती थी।
हर कदम सोच-समझकर उठाती थी।
वो तेज़ नहीं थी, लेकिन मेहनती और बहुत शांत थी।
एक तितली उसकी पीठ पर बैठ जाती, तो वो भी मुस्करा देती थी।

एक दिन रिकी बोला, ‘अरे तारा! तुम इतनी धीरे क्यों चलती हो? तुम तो कभी भी कहीं नहीं पहुँच पाती!’ तारा ने बस मुस्कराकर कहा, ‘हर किसी की अपनी चाल होती है रिकी।’ रिकी ने हँसते हुए कहा, ‘मैं तो तुम्हें आराम से हरा सकता हूँ!

tortoise rabbit race

तारा ने धीरे से कहा, ‘तो चलो एक दौड़ लगाते हैं।’
रिकी चौंक गया, फिर बोला, ‘ठीक है! देखते हैं कौन जीतता है।’
बंदर ने सीटी बजाई और सारी भीड़ दौड़ देखने के लिए जमा हो गई। आम का पेड़ मंज़िल तय हुआ।

जंगल के हर कोने से जानवर आ गए — गिलहरियाँ, तोते, हिरन, और बंदर।
सबको इस अनोखी दौड़ का इंतज़ार था।
एक तरफ़ था तेज़ रफ्तार खरगोश रिकी… और दूसरी तरफ थी धीमी लेकिन भरोसेमंद तारा।

बंदर ने ऊँची आवाज़ में कहा — ‘एक… दो… तीन… दौड़ शुरू!’ रिकी हवा की तरह भाग निकला। तारा ने धीरे-धीरे अपनी चाल शुरू की, बिना घबराए, बिना थके।

tortoise-rabbit-runningरिकी जंगल की पगडंडियों पर ऐसे भाग रहा था जैसे बिजली की रेखा हो। वो खुद सोच रहा था, ‘तारा अभी बहुत पीछे होगी।’ वो हँसता गया, और आगे बढ़ता गया।

कुछ देर दौड़ने के बाद, रिकी ने देखा — तारा तो कहीं दूर-दूर तक नहीं दिख रही। वो एक बड़े पेड़ के नीचे लेट गया और बोला, ‘थोड़ा आराम कर लेता हूँ।’ थोड़ी ही देर में वह गहरी नींद में सो गया।

उधर तारा बिना रुके चलती रही। उसके पाँव धीरे-धीरे, लेकिन मजबूती से चलते रहे। वह थक गई थी, लेकिन रुकी नहीं। उसके मन में था — ‘मैं कोशिश ज़रूर करूँगी।

tortoise running slowlyजब तारा मंज़िल के पास पहुँची, तो आम का बड़ा पेड़ उसकी आँखों के सामने था। वो थकी हुई थी, लेकिन चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी। उसने सोचा, ‘थोड़ा और… बस थोड़ा और!

रिकी की नींद खुली। सूरज अब नीचे जा रहा था।
उसने आँखें मलीं और देखा — तारा तो आम के पेड़ के पास पहुँचने वाली है!
वो उछल पड़ा और चिल्लाया, ‘ओ नहीं!

rabbit running fastअब रिकी ने अपनी पूरी ताक़त से दौड़ लगाई। उसकी स्कार्फ फिर से लहराई… पत्ते उड़ने लगे… लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।

तारा ने आम के पेड़ को छू लिया। वो जीत गई थी! सारे जानवर खुशी से चिल्लाए — ‘वाह तारा! वाह!’ रिकी हाँफता हुआ पीछे आया और चुपचाप खड़ा रह गया।

tortoise won the raceरिकी तारा के पास आया और बोला — ‘माफ़ कर दो तारा… मैंने तुम्हें कमज़ोर समझा।’ तारा मुस्कराई और बोली — ‘कोई बात नहीं रिकी। धीरे-धीरे चलो, लेकिन चलते रहो — यही असली जीत है।’

सारे जानवरों ने तालियाँ बजाईं। और जंगल में फिर से शांति और दोस्ती लौट आई।

 

सीख: लगातार मंजिल की ओर बढने वालो की जीत होती है। कभी भी काम को कल पे ना छोड़ो। मंजिल तक पहुँचने पर भी कभी नम्रता ना छोड़ो।

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